INDIA vs BHARAT: भारत में इस टाइम एक बड़ी बहस चल रही है. यह सब एक लेटर के कारण शुरू हुआ जो राष्ट्रपति ने कुछ महत्वपूर्ण अतिथियों को भेजा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा जो लेटर जी-20 के दरमियान आने वाले मेहमानों को सेंड किया गया था, उसमें सबसे ऊपर की तरफ प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ था। हालांकि सामान्य तौर पर यहां पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया प्रिंट होता है। चर्चा यह है कि सेंट्रल गवर्नमेंट संविधान से इंडिया शब्द को हटाना चाहती है और सिर्फ भारत शब्द रखने का प्रस्ताव लेकर के आना चाहती है। इस बीच यह चर्चा भी बड़े पैमाने पर हो रही है कि नाम चेंज करने में देश में कितना पैसा खर्च होगा।
खर्च का अनुमान कैसे लगाया जाता है
खर्च का अनुमान लगाने का कोई भी फिक्स फार्मूला नहीं है। देश का जो आकार है और देश का जो डॉक्यूमेंटेशन है उस पर काफी खर्चा डिपेंड करता है। अफ्रीकन देश के इंटेलेक्चुअल अर्थात बुद्धिजीवी के द्वारा साल 2018 में साउथ अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड का नाम बदले जाने पर लंबी स्टडी की गई है और उन्होंने बताया कि तकरीबन 500 करोड़ का खर्चा उस देश के नाम को चेंज करने में आया था।
किसी देश के नाम को चेंज करने में कितना खर्चा आएगा, यह उस देश के टैक्सेबल और नोनटैक्सेबल इनकम पर डिपेंड करता है। जैसे की किसी मीडिया हाउस के द्वारा अपना नाम बदला जाना है तो वह सिर्फ कागज में और बैंकों में ही इसे चेंज करेगी।
भारत में खर्च होगा भारी भरकम पैसा
ओलिविया मॉडल के हिसाब से देखा जाए तो देश में भारत का नाम बदलने में तकरीबन 14000 करोड रुपए खर्च हो सकते हैं। इस बात की जानकारी लल्लन टॉप ने आउटलुक के खबर के हवाले से लिखी हुई है। इसके अनुसार देशवासियों की फूड सिक्योरिटी पर जितना खर्च होता है उतना ही खर्च तकरीबन रीब्रांडिंग पर भी होगा।
कैसे निकला यह आंकड़ा
आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में खत्म हो चुके फाइनेंशियल साल के लिए इंडिया की राजस्व प्राप्ति 23 लाख 84 हजार करोड़ रुपये थी। इसमें टैक्सेबल और नोन टैक्सेबल रेवेन्यू दोनों ही शामिल था। अगर इसी आंकड़े पर ओलिविया मॉडल को फिट किया जाए, तो इंडिया से नाम चेंज करके देश का नाम भारत रखने पर तकरीबन 14, 304 करोड रुपए तक खर्च हो सकते हैं।