RajasthanViral Desk (Political News): प्राप्त हो रही बड़ी जानकारी के अनुसार बताना चाहते हैं कि, भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा नेशनल पेंशन योजना अर्थात राष्ट्रीय पेंशन योजना को लागू करने वाले सभी राज्यों को चेतावनी जारी कर दी गई है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा कहा गया है कि, यह एक कदम पीछे खिचने जैसा है, जिसकी वजह से फाइनेंशियल रिस्क की आशंका काफी ज्यादा बढ़ सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा कहा गया है कि, यदि राष्ट्रीय पेंशन योजना को लागू किया जाता है, तो फाइनेंशियल कर्ज मौजूद पेंशन स्कीम की तुलना में 4.5% ज्यादा हो जाएगा, जिसकी वजह से देश के ऐसे राज्य जहां पर यह योजना लागू की गई है, वहां पर मीडियम टर्म में फाइनेंशियल सिचुएशन पर गहरा संकट आ सकता है।
बताना चाहते हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा यह रिपोर्ट ऐसे समय पर प्रस्तुत की गई है, जब देश के पांच राज्य राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के द्वारा गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन योजना पर वापस लौटने पर काम किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए पेमेंट नई योजना का 4.2 परसेंट होगा। वही छत्तीसगढ़ के लिए 4.6, झारखंड और पंजाब के लिए 4.4 और हिमाचल प्रदेश के लिए 4.8 गुना होगा।
नेशनल पेंशन सिस्टम क्या है?
साल 2004 में सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा नेशनल पेंशन सिस्टम को शुरू किया गया था। इसके अंतर्गत बेसिक सैलरी का 10% योगदान कर्मचारी के द्वारा किया जा सकता है और 14 परसेंट का योगदान गवर्नमेंट के द्वारा किया जाता है। इस रकम पर इन्वेस्टमेंट के पश्चात जो रिटर्न हासिल होता है, उससे पेंशन की रकम का निर्धारण होता है। अगर पुरानी पेंशन की बात करें, तो किसी कर्मचारी को उनके कामकाजी जीवन के दौरान कुछ भी योगदान करने की आवश्यकता के बगैर भी उनकी आखिरी सैलरी के 50% रकम के बराबर पेंशन की गारंटी मिलती है।
6 राज्यों के NPS में 50% निवेशक
हमारे भारत देश के 6 बड़े राज्य जैसे कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में नेशनल पेंशन सिस्टम के सभी कस्टमर का लगभग आधा हिस्सा है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान देश के सिर्फ ऐसे दो राज्य हैं, जिनके 5 लाख से भी ज्यादा कस्टमर है। यह आंकड़ा हम आपको साल 2022 के 30 नवंबर के डेटा के आधार पर प्रदान कर रहे हैं।