Rajasthan news: राजस्थान यूनिवर्सिटी में पहली बार किसी ट्रांसजेंडर को मिला है एडमिशन जिनका नाम है नूर शेखावत. जी हां दोस्तों, आज की खबर है कि बर्थ सर्टिफिकेट लेने वाली राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर (Transgender) नूर शेखावत हो गयी है. उनका सपना है कि वह पढ़ कर कुछ बन सके और इस बात से अब उनके सपनों को नयी उड़ान मिल रही है.
ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है. उन्होंने बताया है कि ऐसा करने में उन्होंने काफी संघर्ष किया है और उसके बाद ही सेंट्रल एडमिशन कमेटी ने स्पेशल केस के तहत एक ट्रांसजेंडर को पहली बार दाखिला दिया. जिसके बाद से राजस्थान यूनिवर्सिटी (Rajasthan University) के महारानी कॉलेज में BA फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेकर बहुत खुश है. इसके साथ ही नूर शेखावत नें छात्रसंघ चुनाव लड़ने की भी इच्छा जताई है. चलिए हम लोग शेखावत को बधाई देते हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं. इसके साथ ही चलिए आगे बढ़ते हैं.
करना पड़ा था काफी दिक्कतों का सामना
उन्होंने बताया कि उन्हें जन्म प्रमाण पत्र लेने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और जब उन्हें अपना जन्म प्रमाण पत्र मिल गया तो उनके हौसले और बढ़ गए. और उनके सपनों को उड़ान मिलने लगी और मैं ख्वाब सजने लगे. वहीं कॉलेज ने ऑफलाइन आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें एडमिशन दे दिया है.
शेखावत ने बताया कि उनका सपना था कि हमेशा से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग जाए. उन्होंने कहा है कि वह इसके लिए काफी मेहनत करेंगे और लगातार पढ़ाई करेंगे. हालांकि अभी सब्जेक्ट चयन नहीं हो पाया है. वहीं दूसरी ओर वह साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी और पॉलिटिकल साइंस जैसे सब्जेक्ट लेना पसंद करेंगी.
प्रिंसिपल ने दी एडमिशन की परमिशन
यूनिवर्सिटी एडमिशन कमेटी के कन्वीनर और सिंडिकेट सदस्य प्रो. एसएल शर्मा ने बताया कि जब हमारे सामने केस आया तो तुरंत इस पर एक्शन लिया गया. और किसी कारण से इन्होंने ऑनलाइन आवेदन नहीं किआ. लेकिन फिर भी एडमिशन कमेटी ने सर्वसम्मति से फैसला लेते हुए एडमिशन देने की बात रखी गयी. वहीं तब महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल निमाली सिंह को ज़ब ये पता चला तो उन्होंने इसकी अनुमति दे दी.
बर्थ सर्टिफिकेट पाने वाली पहली ट्रांसजेंडर बन गयी है नूर शेखावत. उन्होंने कहा- स्कूल में खूब ताने सुने लेकिन पढ़ना नहीं छोड़ा.
वैसे नूर शेखावत ने 2013 में अपनी 12वीं पास कर ली थी लेकिन अपनी पढ़ाई छूट गयी थी. उन्होंने बताया कि 12वीं क्लास में उन्हें कई ताने सुनने पड़े लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी. बाद में उन्होंने घरों में जाकर बधाइयां भी दी लेकिन उन्होंने फैसला कर लिया था कि वह इस घुटन भरी जिंदगी में नहीं रहना चाहती हैं बल्कि अपने सपने पूरे करना चाहती हैं. लेकिन इसी बीच उनके पास डॉक्यूमेंट नहीं थे जिसके कारण उनका एडमिशन नहीं हो पा रहा था.